आत्मा पुराने शरीर रूपी वस्त्र को त्यागकर नया शरीर धारण करती है। आत्मा अछेद्य,अक्लेद्य,अदाह्य व अशोष्य है,न इसे शस्त्र काट सकते हैं,न ही वायु सुखा सकती है,न अग्नि जला सकती है,न ही पानी गला सकता है।यह नित्य सनातन,सर्वव्यापी,अचल व स्थिर है
आत्मा पुराने शरीर रूपी वस्त्र को त्यागकर नया शरीर धारण करती है। आत्मा अछेद्य,अक्लेद्य,अदाह्य व अशोष्य है,न इसे शस्त्र काट सकते हैं,न ही वायु सुखा सकती है,न अग्नि जला सकती है,न ही पानी गला सकता है।यह नित्य सनातन,सर्वव्यापी,अचल व स्थिर है