देश अब भी नहीं तो कब?

ये तो
आपकी खुश किस्मती है कि
सरकार ने काम करना शुरू कर दिया है।
*पहले हर चीज केवल अल्पसंख्यक को व द-लित को मिलती थी
बस
शिक्षा नहीं। जिसके अभाव में पता ही नहीं लगा कि सब
कुछ किसके नाम है, कक्षा8 तक की पढाई सबसे ज्यादा जरूरी है, जो बिना पढे पास की
, तो कोई फॉर्म पढ ही नहीं सके।बिना पढा इंसान तो जो जिधर हांक दे, उधर ही हांके में चला जाता है या नेताओं के भीड़भाड़ करने व रैली करने में जो विदेश में काला धन के रूप में नेताओं के पास है।
*अब कोई दलित नहीं है न आरक्षण है, बस नियम अपनी आंखों से देखो।पहले किसी को जात देखकर मुद्दा बनाया जाता था।हम जहां कानपुर में रहते थे, वहाँ हर जात व राज्य के लोग रहते थे। हमारे किराए दा र
बंगाली , ब्राह्मण, बिहारी व पंजाबी थे। पडोसी सरदार,  नेपाली व मछुआरे थे।कभी हमने दलित व शब्द सुना ही नहीं। ये तो जब इंदिरा को मारा गया, , तब शुरु हुआ। अनिश्चित कालीन हड़ताल, सरदारों को मारा जा रहा था। पता लगा कोई दुश्मनी नहीं थी सब —–
तब सुनने में आया था द-लित।
*किसानों की जमीन पर कब से चढा कर्ज अब तो माफ भी हो रहा है।

*टीजीटी के द्वारा कब से धन लूटा जा रहा  था अब है
*सडकें क्या पहले तालाब व खस्ताहाल नहीं थीं, अब तो फिर भी ठीक हो रही है।
*पहले कुछ को अन्य व दलित कहकर, आरक्षण से चिकित्सक बना तो दिया, पर इलाज सवर्ण से ही कराते हैं, कि कहीं ऊपर
न चले जाएं।जिसनेपूरा पढा ही नहीं, बस पास होने कै नं लाकर पासस हो गया, उससे दवाओं का ज्ञान होगा।
क्या रैली के लिए मीहरा बन भीड़ में पिटने से अच्छा, सैनिक बनना नहीं है? *
* पहले आपका हर कार्य सेना से क्यों कराया गया कि सीमा पर सैनिक न हों व देश मे असुरक्षा हो?
*अब तो सब ही राजा भोज हैं। सरकार बदली है इतने साल से पडे हुए काम को करने के लिए क्या उसका आधा समय भी नहीं देना चाहिए?
अगर स्टार्ट अप द्वारा, व्यापारी वर्ग सरकारी कार्यो में सरकार साथ दे तो इससे बढिया बात क्या है?
क्या कोई अक्षय कुमार की तरह शहीदों के परिवारों की मदद कर सकता है?
कब आदमी मुखर होगा,?
कब निर्भीकता आएगी?

Libalties

What are your libalties?
How will you complete your libalities?
What should you do? 
Mostly you saw,”Each person tries to waste your life by moulding.”
People misguide everyone.They feed their listeners and wash their brains.They feed their ideas and enjoy.They remove their compteters from collages and get job easily.
Like this,
Adult members do also this.They are
a biggest cause of devision.They want to mould,all home members.Young generation doesn’t exept it.

Is this libality? 





Libalties

What are your libalties?
How will you complete your libalities?
What should you do? 
Mostly you saw,”Each person tries to waste your life by moulding.”
People misguide everyone.They feed their listeners and wash their brains.They feed their ideas and enjoy.They remove their compteters from collages and get job easily.
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Adult members do also this.They are
a biggest cause of devision.They want to mould,all home members.Young generation doesn’t exept it.





परावर्तन

हर चीज से परावर्तन होता है।सूर्य की किरण जिस पर
भी पड़ ती है, मन से उठे उद्गार भी ध्यान योग के समान असर करते हैं।
कभी-कभी अचानक हम किसी को बहुत याद करते हैं, और वो हमारे सामने।
सब परावर्तन ही तो है।हम, आप व अन्य सब क्या हैं? अगर कोई इंसान किसी के प्र ति जहर उगलते हैं, उसके पास कोई समाचार नहीं है पर दूर बैठा वह इंसान उसके लिए उदासीनता दिखाता है।
हमारे आसपास के वातावरण से हमें भी तो यही मिलता है।जैसे विचार होते हैं, वही सामने
दिखता है।बच्चों में भी यही आता है। अक्सर सुनने में आता है, वो तो बिल्कुल मां पर गयी है।उसी तरह कांइयां व दुष्ट।

laiya recipe(Mamra in Gujrati)

What should I cook and eat? WHICH IS tasty, easy and time pass. And fatless?
I was thinking.I shouldn’t feel hunger.
LAiya is a very good option.It is made by rice.It is fatless.


we, can use it for guests. It is slightly salty. It is used for making Bhelpuri.
 Recipe

Things we use:

250gmLaiya,1tsp Granular mustard seeds, 1/2tspred chilli powder, 1tsp termeric powder salt and raw carry powder,  green dry mint, heeng. 1big tsp deshi ghee. 

process:

Take 1 big tsp deshi ghee and heat properly. . and switch of the gas.  add heeng and mini mustard seeds, afterit,  add other ingrédients. And add this mix in


  1. the laiya.
    And mix it with hands properly.you can eat it with tea and coffee.
    c

Ghost efect


After reading your ghost chapter,  I remembered this bad experience. I Was in
M.Sc.My Baba went to live near my uncle Rakesh.My Uncle was not hearing properly, so We chose a little home for us and my Baba gave big banglow,From which my uncle can earn money.My uncle was a best painter and painted cars.He was a central worker.My father was a teacher. AT That time,English was leaving India and selling all things so

My grandpa bought things from oction.He was,born in 1920. He purchased Aabnoos’s

wooden

furnitures mostly.This was converted into a habit.


and
Once he brought some doors.These were beautiful.My grandpa made many homes and sold. It was also a habbit. He built 1home but He didn’t feel happy in that home and sell 4houses, He built a big banglow .He bought the doors of a room of 1st flour from an oction.after some time, a lady walked daily on the fence of banglow and said, damage these doors. These are mine, but my aunt is a greedy lady.She said, no, I can’t do it.That portion was made of my father’s money.My father said,remove these doors but my aunt did’t listen anything, My father went to ask about these doors,That person told to my father, these doors of a grave of a lady.

Everyone knew about it. 

After that accident,  My family doesn’t take any octional thing or removed thing. 

It is a great lesson for my family. 

My grand pa(Baba) died.That lady and my aunt totured him. My aunt is not happy.My aunt is illitrate. She always show that she is litrate.She can’t understand its bad effects. Everyone tells, I don’t believe but how can my grand pa say it,  remove these doors, one lady is saying to me. If you will not return these doors, I will kill you in 3days. Each member quarreled but my aunt didn’t listen. 



Food

It is of various types. You eat many things and worst things also.When any new thing  is launched by busimen,
you started to eat.

you don’t see its side effects.
You don’t see its formation process.
You don’t see its packing process.
You don’t see its rate with tex.
you don’t see its uses and harms.
Are
you not
like a cattle
only which moves on
only their master’s indication?
WHY?
Is your,stomach a dustbin?
IS your home a dustbin also?
Preservatives are harmful. Everything is preserved by them. They make a cause of sickness and disorders.



भगवान

इस पर बहुत बहस होती है, आखिर कौन है भगवान्?
आज इस बात पर मेरे बेटे ने भी पूछा कि हम राम को ही भगवान् क्यों कहते हैं?
चलो हम कोशिका से पहले जाते हैं।कोसरवेट।, जीवाणु,विषाणु।
इसके बाद कोशिका। चलो अमीबा से शुरुआत करते हैँ।
एक अमीबा बन गया।हम कैसे कहेंगे,कि वो मर गया या वो जिंदा है?
ये तो जब वो चलेगा नहीं, निश्चल हो जाएगा।
(मतलब उसमें ऊर्जा नहीं बचेगी।जब उसका एक कौशीय शरीर विकारों से भर जाएगा और ऊर्जा को स्थान नहीं बचेगा। ऊर्जा बाहर खुले में जाना चाहती है।ऊर्जा को बाँधकर नहीं रख सकते हैं। ऊर्जा चाहे कैसी
ग-ति करती है तभी तो उसका नाम ऊर्जा है। विकारों से भरे शरीर में स्थान न बचने से वो शरीर को छोड़ जाती है और  सब कहते हैं, अमीबा मर गया। )

यही नियम समस्त जीवों पर लागू होता है।
ये जगत एक विकासक्रम के
अनुसार चलता है। ये विकासक्रम कोसरवेट से शुरु होता हुआ, पहले एक कोशिका वाले, फिर
बहुकोशीय जंतुओं व पादपों तक चलता है।ये जंतु बिना हड्डी के होते हैं। इसके बाद हड्डी से बन जंतु आते हैं। यही तो विज्ञान है, ये विकासक्रम भी मत्स्य से ही प्रारम्भ होकर आदमी पर समाप्त होता है।पर कोई विज्ञान पढ़ ना ही नहीं चाहता है।
आगे इस ऊर्जा का
जो संचालक बन कर अपने अनुसार घुमा ले, वही भगवान्(भं-भूमि, ग-गगन, व-वायु, अ-आकाश, न-नीर), ध्यान योग के कितने उदाहरण देखने को मिलते हैं। इन पांच से मिलकर कार्बोहाइड्रेट बनता है, जो इस शरीर के निर्माण मे लगता है। जो अणु, परमाणु से बनता है। जिसके तरह तरह से विघटन से ऊर्जा बनती है।
गीता रामायण या किसी पुराण में कभी नहीं कहा कि मुझे पूजो।
पर
इंसान भी आरामतलब व स्वार्थी है।
उसे मालूम पड़ गया कि
फलां फलां दुनियां को अपनी ताकत से घुमा सकता है। डायनैमोजादूगर की तरह रूप बदल सकता है व कुछ भी बना सकता है। फराडे की तरह, दीवार पार कर सकता है। हवा में उड़ व पानी पर चल भी सकता है। योगी की तरह मन से पुकारने पर सुन कर सभी समस्याएँ दूर कर ससकता है, तो उसने इसको भगवान् कह दिया। और अपने कर्मों से मुंह मोड़ लिया।
जबकि
भगवद्गीता में भी कृष्ण ने कहा है,
कर्म करो।
कर्म किए बिना तोशरीर
का निर्वाह भी नहीँ हो सकता। जन्म लिया है तो कर्म तो करना ही है। पर
अगर तुमसे नहीं हो रहा है तो मुझसे कहो।और अगर मैं करूँगा तो क्या मुझे श्रेय भी नहीं मिलना चाहिए?
(अगर तुम किसी को एक गिलास पानी भी रोज देते हो, तो क्या उसके बदले पैसा और तारीफ दोनों नहीं चाहते? )
कर्म भी सोचकर करो, फल तो कभी न कभी मिलेगा ही।

{(न्यूटन का क्रिया प्रतिक्रिया बल) (दीवार पर सर मारने से सर फूटेगा ही, क्योंकि तुमने जो ताकत दिखा ई , दीवार पत्थर सी व निश्चल है, उसने वो बल वापस कर दिया, सूद समेत और सर फूट गया)} बस वो यही बताता है, यही समझाता है, नहीं तो जंगल राज होता।अब काम करेगा तो श्रेय भी नहीं चाहेगा।
उसने तो ये भी कहा है कि
अगर तुम ये कर सको तो तुम भी मुझ जैसे बन सकते हो।

जी एस टी

का अर्थ है, सामान पर लगने वाला कर. क्या आपने कभी दुकानदार से पूछा है कि आप जो दाम लेते हैं, उससे कम आपके द्वारा खरीदे सामान
पर लिखा है।क्या उसने आपको बताया
वो आपसे 109/-कै पीज्जा पर 130/- कर के लेता है? क्या आप कर नहीं देते? इपने तो दे दिया,पर उसने तो नहीं दिया?
क्या आप कर व्यापारी के घर खर्च के लिए देते हैं? सौंदर्य प्रसाधन, टाफी वअन्य सभी सामानसोना चांदी मकान,मकानों में लगने वाले सभी सामान पर कर देते हैं।पर व्यापारी नहीं देता? विपक्ष उन अज्ञा नी पढे व अनपढ वर्ग को भड़काकर सरकार के खिलाफकर रहा है, जो नुक्कड़ पर या अड्डे बनाकर बहस करते हैं।आप ध्यान दें तो आपको ज्ञात होगा होगा कि ये विपक्ष व व्यापारी वर्ग की मिली जुली साजिश है।आपका कर अब व्यापारी को देना पडेगा इसलिये वो बौखलाया हुआ है।आप दिन की शुरुआत से, चाय से लेकर, उपयोग में आने वाले हर सामान के पैकेट को पढें।तब आपको पता चलेगा कि आप तो हर सामान पर कर दे रहे हैं। और बहुत दे रहे हैं. और व्यापारी का घर भर रहे हैं।
आप सडक, पार्क,नलकूप, सस्ते भोजनालय सब चाहते हैं, तो इसका विरोध न कर सरकार को अपना काम करने दें।अगर आप अडानी व अंबानी की तरह सरकार का साथ दे सकते हैं तो अवश्य दें। सब सुविधाएँ हरेक परकर है? क्या आपमें हिम्मत है अपने पैसे को सरकारी काम में लगाने की? इस देश में पैसा तो बहुत है, परदेश के लिए पैसा लगाने वाले देशभक्त नहीं। किसी को तो ये काम करना ही होगा।
क्या इतनी योजनाएँ, व सुविधा, कभी मिली?
क्या इतने बड़े खुलासे कभी हुए?
क्या आपको अपने व्यापारी दोस्त से कभी जलन नहीं हुई, कि वो रोल्स रॉयस व लीमो में घूम रहा है, पर क्या ये सोचा कि आपने तो कर दिया पर वो भी देता है?
फिर आपने क्या सोचा कि आप व्यापारी को अमीर बनने देंगे, या सरकार को भी व्यापारी से वसूलने देंगे, जिससे वो आपको भी
और सस्ते दरपर दे सके?
आपने पीज्जा पर 29/-दिए।पर उसका सामान आटा व मसाला पर क्या उसने, सरकार को टैक्स दिया? नहीँ. ये ही खुलासे हैं आपके व्यापारी दोस्तों की कीमती व मंहगी शानो-शौकत के।
बस देखते जाइए, कुछ मंहगा नहीँ हो रहा है. आपका कररूपी खजाना बस व्यापारी को देना है। 

इसे शेयर अवश्य करें व जन जन तक पहुचाएं।