Obesity

When a person becomes lazy,fat starts to  deposit in the body.
**There is nothing like that don’t eat rice, oil and fatty things.
**Everything is important for alive with function.

**you’ll see your grand parents and their grand parents. ,They didn’t use any medicine and not ill.
Why?
**because
They started their life with relexly.
*They left their bed timely and started your
work easily.
*They took a bath and started

your daily work.
They ate your breakfast parantha.
They used coconutoil,til oil, and kachchi ghani mustard oil.

*They ate fried things Pakauda, puri, kachaudi, halua,dosa,chips,  papad but they were slim and lived a long and healthy life near, about 90/95 yeats old. 


Why?
*They washed their clothes.
*They cleaned their homes.

*They prepared the meal.

*They used spices, deshi cow’s milk and ghee, besideS medicines.
Nowadays,
*People use ready made packed and prepared food. It is preserved before a long lime. Preservative Chemichals  are used for this. 

Nobody wants to do work.
Machines and servants do all works.When They become fat,They use medicines to reduce it. 

Am i saying right?
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अर्थ व्यवस्था

संपूर्ण संसार की अर्थ व्यवस्था पर ही हरदेश की सुरक्षा निर्भर है। अगर व्यापारी चाहे तो क्या नहीं कर सकता है? और जो अब चाइना का माल न खरीद कर जो कर रहा है,
** बहुत नहीं, सबसे अच्छा कर रहा है।
**क्योंकि क्या सामान है जो भारत में नहीं बनता है?
सुबह से लेकर रात तक एक एक वस्तु पर गौर करें, तो आपदेखेंगे कि कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं है, बस हम विदेशी सामान को ब्रांडेड व देश में बने सामान को लोकल कहते हैं।लोकल हआप नहीं खरीदते ह
। भले ही आपको बेचे गये सामान से हथियार खरीदकर चाइना आपके देश पर ही आक्रमण कर दे।फिर कोई दूसरा हिंदू देश नहीं है, आप कहां जाएं गे?
पहल तो आपको ही करनी होगी।
**धन्य हैं वो व्यापारी, 👍जिन्होने इस बात को समझा। अगर निर्यात आयात करना है तो ऐसे देश से करो, जो आपका मित्रहो।
**कभी सोचा, आपके पहचान के लोगों के लिए तो आप भी लोकल ही हैं। अगर वो आपसे बोलना बंद कर दें, कि ये तो लोकल हैं।:)👌
यही बात अगर देश का हर व्यापारी समझ जाए तो, अब तो बस देश का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है? ✌✌
सहमत हैँ तो शेयर करें व समझाएं भी।

वसुधैव कुटुम्बकम्

वसुधा को मां और कुटुम्ब वही मान सकता है जो भारतीय हो।सुषमा स्वराज ने बिल्कुल सही कहा है।कि
भारतीय सभ्यता में वसुंधरा को कुटुम्ब माना गया है।:)
हम अंग्रेजी को इतना आदर क्यों देते हैँ? ;)उन्होने सही कहा है अंग्रेजी में नो का अर्थ नहीं और जानना दोनों है, अब (आइ नो दिस )क्म्प्यूटर गलत
दिखाए गा।
😂अब सब पढेलिखे है ंतो सीधे संस्कृत क्यों नहीं करते।😍
संस्कृत बिल्कुल कठिन नहीं है।हर कम्प्यूटर के की पैड की हिंदी संस्कृत लिखने में
पूर्णतया सक्षम है।

👌शुद्ध हिंदी के शब्द कूकुर,, बालक, गच्छ, क्रीड़ा ये सब संस्कृत तो है ही पर आधुनिकता की नकल करने वालों ने कभी  हिंदी साहित्य केइतिहास को अच्छे से अध्ययन नहीं किया।
ऐसा नहीं कि अगर बीएएमऐस करते है तो बिना इलाज कोई मर जाएगा।चक्कर यही है कि,
किसी ने कभी बीएएम एस के दोहों को ध्यान से नहीं पढा, उसमें हर बीमारी का इलाज व शल्यक्रीया है।महादेव शिव,उसी के जनक है ं। सुश्रुत धन्वंतरी ये सब उसी के अनुयायी हैं।
आज फिर एकबार आरक्षण से बने डाक्टरों के गलत इलाज से घबराकर समाज फिर आयुर्वेद की शरण में आ गया है। इससे आयुर्विज्ञान को भी प्रोत्साहन मिला है।इससे वसुधा के बारे मे जानकारी मिलती है कि उसको किससे नुकसान है व उसपर क्या क्या उगाकर अपना स्वास्थ्य सही रखा जा सकता है।जब संपूर्ण वसुधा को कुटुम्ब माना जाएगा तब ही स्वास्थ्य लाभ होगा।तभी स्वास्थ्य लाभ वाली जड़ी बूटियां उगेंगी।
कृपया टिप्पणी अवश्य दें।

वातानुकूलित

क्यासन् 2017की वर्तमान सरकार का यह एक सही फैसला नहीं है कि ट्रेन के अंदर कंबल सिस्टम बंद किया जाए?
अगर ऐसा होगा तो संक्रमण की संभावना कम हो जाएगी।बहुत से यात्री बीमार होते हैँ, उनकी बीमारियाँ स्वस्थ इंसान को भी हो जाती हैं। इससे बेहतर ये है कि तापमान बढा दिया जाए।
इससे 👍यात्रा मे कंबल उठाने रखने के समय की बचत
भी होगी।रेलवे का सटाफ भी कम होगा।स्टाफ आधा कोच तो स्टाफ से ही फुल रहता है और चोरी की घटनाओं पर भी रोक लगेगी क्योंकि स्टाफ के नाम पर रेल में खाना बेचने झाडू लगाने व अन्य
कार्यो के लिए बिना टिकट
चढ़ते हैं।
अगर सही हो तो शेयर करें। अन्यथा टिप्पणी अवश्य दें।

आहार प्रकार

साधारणतया लोग सोचते हैं कि पेट भरकर खाना चाहिए। 

 ये सही भी है पर क्या खाना चाहिए? कब खाना चाहिए?

 कैसा खाना चाहिए और कैसे और क्यूं?बस अगर कब क्यों कैसे कैसा और कहां पर क्या, सोच लें तो जीवन भर स्वस्थ रहें। पर कोई बस ये ही नहीं सोचता है।पेट को तो बस एक कूड़ा घर समझकर जो मिला वो. भी ठूंस लो…
मुफ्त मिला तो और ठूँस कर खाओ, पता नहीं फिर मिले या न मिले, 
बेचारे पर कोई रहम नहीं…हरेक का एक निश्चित आकार है, चाहे वह पेट ही क्यों न हो, पेट के ऊपर ग्रासनली होती है।उसपर एक वॉल्व होता है।
** जब पेट भर जाता है तो खाना गले में आने लगता है।पेट की दीवारें पाचकरस  का स्राव करती हैं। पर वो भी तभी कर पाएँ गी, जब हम उसके पास थोडी जगह छोडेंगे।जब वो रस नहीं निकलेगा तो पेट खराब।
**हरेक के पेट में पाचकरस उसकी दांत या चोंच के अनुसार होता है।
**😂जिन जंतु ओं कै दांत पैने व फाड़ ने वाले होते हैं, उनमें अम्ल बहुत  अधिक होता है ।:) मांसाहारी जंतु होते हैं।😂
**जिनके दांत चौड़े और चपटे होते है ं वो घास-फूस ही खा सकते 😘
**जोपैनी चोंच वाले हैँ वो भी इसी तरह मांसाहारी होते हैं। 😍,
** पराग खाने वाले पक्षी की चोंच पतले पाइप सी होती है।;)
**बतख की चोंच में छन्नी होती है।:)
अगर पराग पीने वाली पक्षी कुछ और खाएंगे तो उनकी चोंच बंद हो जाएगी।😂ये बात हर प्राणी पर लागू होती है।
😘अगर कोई इसके विपरीत करता है तो वो बीमार तो पडेगा ही।
कृपया शेयर करें।

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साधारणतया लोग सोचते हैं कि पेट भरकर खाना चाहिए। 

 ये सही भी है पर क्या खाना चाहिए? कब खाना चाहिए?

 कैसा खाना चाहिए और कैसे और क्यूं?बस अगर कब क्यों कैसे कैसा और कहां पर क्या, सोच लें तो जीवन भर स्वस्थ रहें। पर कोई बस ये ही नहीं सोचता है।पेट को तो बस एक कूड़ा घर समझकर जो मिला वो. भी ठूंस लो…
मुफ्त मिला तो और ठूँस कर खाओ, पता नहीं फिर मिले या न मिले, 
बेचारे पर कोई रहम नहीं…हरेक का एक निश्चित आकार है, चाहे वह पेट ही क्यों न हो, पेट के ऊपर ग्रासनली होती है।उसपर एक वॉल्व होता है।
** जब पेट भर जाता है तो खाना गले में आने लगता है।पेट की दीवारें पाचकरस  का स्राव करती हैं। पर वो भी तभी कर पाएँ गी, जब हम उसके पास थोडी जगह छोडेंगे।जब वो रस नहीं निकलेगा तो पेट खराब।
**हरेक के पेट में पाचकरस उसकी दांत या चोंच के अनुसार होता है।
**जिन जंतु ओं कै दांत पैने व फाड़ ने वाले होते हैं, उनमें अम्ल बहुत  अधिक होता है ।ये मांसाहारी जंतु होते हैं।
**जिनके दांत चौड़े और चपटे होते है ं वो घास-फूस ही खा सकते हैं
**जोपैनी चोंच वाले हैँ वो भी इसी तरह मांसाहारी होते हैं। ,
** पराग खाने वाले पक्षी की चोंच पतले पाइप सी होती है।
**बतख की चोंच में छन्नी होती है।
अगर पराग पीने वाली पक्षी कुछ और खाएंगे तो उनकी चोंच बंद हो जाएगी।ये बात हर प्राणी पर लागू होती है।अगर कोई इसके विपरीत करता है तो वो बीमार तो पडेगा ही।
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देश बनाम महागठबंधन

क्या आपको नहीं लगता है कि नीतीश ने देश की सेना के साथ से सर्जिकल स्ट्राइक व नोटबंदी का समर्थन कर बीजेपी के साथ गठबंधन कर बिल्कुल सही किया?
**क्या जो पार्टियां इसका
वि रोध कर रहीं हैं, उन्होने कभी भी क्या देश की जनता की भलाई के लिए कुछ भी किया
है
**जो बिहार की जनता
इनका समर्थन कर रही है उसे क्या मालूम नहीं कि ये अगर पढी लिखी होती तो ये पैसा उसका होता?
**क्या उसे मालूम नहीं कि किस नेता के कारण ये पढ नहीं पाए?
**क्या बिहार की जनता बिहार राज्य को व अपने को स्वतंत्र रुप से स्मार्ट व विद्वान नहीं बनाना चाहती?
क्या बिहार की जनता को मालूम नहीं है कि गौतमबुद्ध के समय बिहार राज्य ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दबदबा कायम रखा और आज घोटालों के कारण शिक्षा…
**तो फिर बीजेपी नीतीश का विरोध क्यों?
क्या देश की सुरक्षा पहले नहीं है?


औकात

अक्सर सुनने में आता है, तेरी औकात क्या है? हमसे भीएक दो ने कहा।आज दूसरे की औकात बताते बताते उसने स्वयं की औकात गिरा दी। गर्व करना, अकड़ना,नकली डिग्री बनवाकर पहचान में नौकरी पाना, पैसों का रौब जमाना, सबको आज अपनी औकात पता चल गई। अकड़ अब भी नहीं गई, मतलब पतन तो होगा ही।
तभी मालूम पड़ता है कि कोल्ड ड्रिंक नहीं पीने के लिए पानी चाहिए।
सोने के लिए वातानुकूलित वातावरण नहीं,घर चाहिए,

 नौकरी के लिए घूस नहीं, पढाई व मेहनत चाहिए।
खाने के लिए पीज्जा नहीं खाना दाल रोटी चाहिए।
संस्कार के लिए, मां का दूसरों को औकात के ताने नहीं,तमीज़ चाहिए।
वरना जिसने ये किया, वो तो
बस…

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बधाई

क्य आप जो इसे पढ रहे हैं मुझ बधाई नहीं दें गे और मेरे बेटे को आशीर्वाद? 

भाई मैं तो दे रही हूं। 

 आज मेरे बेटे  शिवाशीष ने वो कर दिखाया, जो लोग सोच भी नहीं पाते। मेरी ओर से भविष्य के हर पल के लिए, शुभकामनाएं। वो जो चाहे उसे  मिले और उसका हर विरोधी परास्त हो। सुख, समृद्धि, सफलताएं  उसके कदम चूमें। दीर्घायु हो। पूर्णायु हो।   जीवन के हर पल भगवान कृष्णकी कृपा बरसे।   उसे बहुत बहुत बधाई और उसके साथ उसकी दोनों बहनों को भी जिन्होंने उसकी पूरी मदद की।