रंग और उमर कोई मायने नहीं रखते हैं,
केवल कर्म।
तभी तो आज सफेद बालों वाले मोदी, और योगी की दुनियां दीवानी है।
अब समय की नहीं कर्म की बात है,
सबको एक ही झटके में राजा भोज बना दिया।
अब तो जो भी तरीका अपनाऐं काला धन रखने वाले।
चलो, कोई बात नहीं धन तो सारा ही बाहर आ गया।
नहीं आ पाएगा, तो बेकार, क्योंकि आमदनी से ज्यादा में भी…. छापेमारी।
देश की सुरक्षा में सेंध, पता ही नहीं था किसी को।
क्योंकि मुद्रा तो बदल ही गयी।
पासा उल्टा ही पड़ा।
ये तो पुरानी सरकार भी कर सकती थी,
पर किया नहीं।
हिंदू नाम रखकर भारत को लूटा।
किसी को पढना नहीं आता,
तो क्या हुआ, 9और 12 तक पास तो हैं।
अच्छी नौकरी नहीं है तो क्या हुआ बूचड़खाने तो खुले हैं।
जो कमाए वो कोई छीन ही तो लेगा जब पढना न आए तो!
जोकोई काम नहीं तो नारे ही लगाकर कमाई है,
क्या हुआ जो भीड में जानवरों सा हांक दिया तो?
क्या हुआ जो भीड़ में..
क्या हुआ जो ये सब करके अगर कुछ हो जाए,
या फलां ने कोई केस लगाया,
पढना तो आता नहीं,
जो कह दिया उसने लीडर ने
क्यों नहीं मानेंगे भले ही
वो ही करवा
र हे हों ?.
क्या हुआ हमारे घर उन्ही से चलता है और हम उनकी चाबी से?
क्या हुआ जो आप अपना जीवन दूसरे के मन से जीते हैं?
क्या कभी सोचा है
की भगवान् ने हम सबको अपने जैसा क्यों बनाया कि आप मोहरे बने या अपना व अपने देश काभला-
बुरा देखकर अपने हिसाब से? चलें, आप एक बार अपना अध्ययन
करें तो बहुत कुछ ऐसा भी होगा जो आपने नहीं चाहा पर किया तो क्यों?
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