*दान देने वाले के मन में कहीं यह बात तो नहीं, कि अगर किसी का बुरा भीकरे तो मंदिर में दान देकर, उसे पुण्य में बदला जा सकता है!
*पर फिर दान मंदिर में क्यूं?
*क्या उस प्रभु से, जिसके आगे, हर वक्त मांगते हैं, उसे उसकी जरूरत है?
*दान देने वाले के मन में कहीं यह बात तो नहीं, कि अगर किसी का बुरा भीकरे तो मंदिर में दान देकर, उसे पुण्य में बदला जा सकता है!
*पर फिर दान मंदिर में क्यूं?
*क्या उस प्रभु से, जिसके आगे, हर वक्त मांगते हैं, उसे उसकी जरूरत है?
*दान देने वाले के मन में कहीं यह बात तो नहीं, कि अगर किसी का बुरा भीकरे तो मंदिर में दान देकर, उसे पुण्य में बदला जा सकता है!
*पर फिर दान मंदिर में क्यूं?
*क्या उस प्रभु से, जिसके आगे, हर वक्त मांगते हैं, उसे उसकी जरूरत है?