क्षत्रिय धर्म में अपने लिए युद्ध से बढ़कर अपने आप मिलने वाला स्वर्ग का द्वार(जब कौरव सुई की नोक के बराबर भी जमीन न दे रहे हो तब) औरकोई नहीं है।
क्षत्रिय धर्म में अपने लिए युद्ध से बढ़कर अपने आप मिलने वाला स्वर्ग का द्वार(जब कौरव सुई की नोक के बराबर भी जमीन न दे रहे हो तब) औरकोई नहीं है।