हजारों में से कोई एक आत्मा कोआश्चर्य की भाँति देखता है सुनता है,वर्णन करता व कोई एक ही सुनता भी है। पर कोई इसे सुनकर भी नहीं जानता है।यह सबमें अवध्य है,फिर शोक करना व्यर्थ है।
हजारों में से कोई एक आत्मा कोआश्चर्य की भाँति देखता है सुनता है,वर्णन करता व कोई एक ही सुनता भी है। पर कोई इसे सुनकर भी नहीं जानता है।यह सबमें अवध्य है,फिर शोक करना व्यर्थ है।