*शंख नाद ऑर दीपयुद्ध:-
5/4/2020
चल पडे़ कोटि पग उसी ओर।
पड़ गयी जिधर भी एक दृष्टि,
गड़गये कोटि दृग उसी ओर।।
जिसके सिर पर धरा हाथ,
उसके सिर रक्षक कोटि हाथ।।
जिस पर निज मस्तक झुका दिया,
झुक गये उसी पर कोटि माथ।।
हे कोटि रूप हे कोटि बाहु,
है कोटि कोटि तुमको प्रणाम।
युग हंसा तुम्हारी हंसी देख,
युग डरी तुम्हारी भृकुटि देख।
तुम अचल मेखला बन भू की,
खींचते काल पर अमिट लेख।।
आहारवेद।