*श्रीमदभगवद गीता
अध्याय-६,
श्लोक-७:-
*मनुष्य को चाहिए कि अपने मन की सहायता से अपना उद्धार करे और अपने को नीचे न गिरने दे।
क्योंकि मन ही बद्धजीव का मित्र भी है और शत्रु भी।
*आहारवेद।
*श्रीमदभगवद गीता
अध्याय-६,
श्लोक-७:-
*मनुष्य को चाहिए कि अपने मन की सहायता से अपना उद्धार करे और अपने को नीचे न गिरने दे।
क्योंकि मन ही बद्धजीव का मित्र भी है और शत्रु भी।
*आहारवेद।