जब समस्त ब्रह्मांड एक सा ही था
और, विकास क्रम से समस्त योनियों की उत्पत्ति हुई
और प्राणी जगत के प्रथम पुरुष
शिव का निर्माण हुआ।
वो शक्ति का सृजन कर्ता बना।
प्रथम पुरुष
शिव।
संपूर्ण ब्रह्मांड में भ्रमण के बाद वो एक स्थान पर विराजमान हो ध्यान मग्न हुआ।उसने अन्य प्राणियों से बचने हेतु त्रिशूल बनाया।
पर अपने जैसा दूसरा अन्य न पाकर वो आसन लगा, ध्यान मग्न हो गया।इसी में हजारों वर्ष बाद उसनेअपने जैसे एक पुरुष की इच्छा की और उसे अपने सामने पाया। उस पुरुष ने पूछा कि आप और मैं कौन हैं?
प्रथम पुरुष शिव ने कहा,
जैसे मैंने तुम्हे बनाया, तुम भी बनाओ।
और भ्रमण के बाद दोनो अपने अपने आसन में ध्यान मग्न
हो गए।
हजारों साल बीत गए,
विष्णु के शरीर से हजारों पसीने की धाराएं निकलीं और क्षीर सागर बना।
क्षीर सागर में माटी में कीचड़ हुईऔर ध्यान लगाए विष्णु की नाभि से कमल नाल निकली। जिस पर ब्रह्मा जी विराजमान थे।
हर युग में प्रथम पुरुष यही त्रिगुण ब्रह्मा विष्णु महेश ही हैं।
इन्होने ही आगे चलकर👍