वसुधैव कुटुम्बकम्

वसुधा को मां और कुटुम्ब वही मान सकता है जो भारतीय हो।सुषमा स्वराज ने बिल्कुल सही कहा है।कि
भारतीय सभ्यता में वसुंधरा को कुटुम्ब माना गया है।:)
हम अंग्रेजी को इतना आदर क्यों देते हैँ? ;)उन्होने सही कहा है अंग्रेजी में नो का अर्थ नहीं और जानना दोनों है, अब (आइ नो दिस )क्म्प्यूटर गलत
दिखाए गा।
😂अब सब पढेलिखे है ंतो सीधे संस्कृत क्यों नहीं करते।😍
संस्कृत बिल्कुल कठिन नहीं है।हर कम्प्यूटर के की पैड की हिंदी संस्कृत लिखने में
पूर्णतया सक्षम है।

👌शुद्ध हिंदी के शब्द कूकुर,, बालक, गच्छ, क्रीड़ा ये सब संस्कृत तो है ही पर आधुनिकता की नकल करने वालों ने कभी  हिंदी साहित्य केइतिहास को अच्छे से अध्ययन नहीं किया।
ऐसा नहीं कि अगर बीएएमऐस करते है तो बिना इलाज कोई मर जाएगा।चक्कर यही है कि,
किसी ने कभी बीएएम एस के दोहों को ध्यान से नहीं पढा, उसमें हर बीमारी का इलाज व शल्यक्रीया है।महादेव शिव,उसी के जनक है ं। सुश्रुत धन्वंतरी ये सब उसी के अनुयायी हैं।
आज फिर एकबार आरक्षण से बने डाक्टरों के गलत इलाज से घबराकर समाज फिर आयुर्वेद की शरण में आ गया है। इससे आयुर्विज्ञान को भी प्रोत्साहन मिला है।इससे वसुधा के बारे मे जानकारी मिलती है कि उसको किससे नुकसान है व उसपर क्या क्या उगाकर अपना स्वास्थ्य सही रखा जा सकता है।जब संपूर्ण वसुधा को कुटुम्ब माना जाएगा तब ही स्वास्थ्य लाभ होगा।तभी स्वास्थ्य लाभ वाली जड़ी बूटियां उगेंगी।
कृपया टिप्पणी अवश्य दें।

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s