भारतीय सभ्यता बहुत विशाल है।इसकी विशालता का एहसास तब होता हैजब हम किसी छोर पर जाते हैं। किसी भी।और तब हम देखते हें कि इसे सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता।क्योंकि इसके शादी व बधाई देने के तरीके दिल को छूने वाले हैं। जिससे विदेशी भी इसे अपनाने को तैयार रहते हैं। वो इसी भारतीय सभ्यता से शादी करते हैं। और तुर्रा ये कि भारतीय अपने धर्म को अपमानित करते हैं। ये रहते भारत में ही हैं, इनके मूल पूर्वज भी भारतीय हैँ, पर ये अ
पने को भारतीय नहीं मानते।तो फिर इन्हे यहाँ रहने का अधिकार भी नहीं है।
अभी कुछ दिद पहले मेरी एक जैन स्त्री से बात हुई। वो बोली कि जैन भारतीय नहीं होते।
ये ज्ञान उसके पिता ने दिया।उसने कहा कि हमारे पूर्व ज दिगंबर हैँ। ये दिगंबर कौन हैं। ये नहीं मालूम। शिव पुराण में शिव जी को दिगंबर बताया गया है।उस स्वरूप के अन्य अनुयायी हुए।
सब शांति के प्रतीक स्वरूप सब कुछ त्याग देते थे, जिससे कोई चिंता ही नहीं। तथा दिशाओं को अम्बर की तरह समझते थे।प्रारम्भ यही है बाकी अनुयायी।
महावीर स्वामी को अपना पूर्वज बताया, वो भीभारतीय ही थे।
कृपया अपने बच्चों को सही ज्ञान दें।
ऐसे ही और जैन स्त्री से भी बात हुई, उसने कहा, आप रावण को बुरा समझ उसका पुतला जलाते हो। हम उसको तीर्थंकर मानते हैं।
पर मेरे खयाल से गुरु(तीर्थंकर) को शोभा नहीं देतीं हैं।
वो प्रकांड पंडित था।पर उसके द्वारा किया गया एक गलत कार्य उसके सारे कर्मों पर भारी पडा। वो तो राजा था। अनेकों रानी, पटरानी, महारानी थीं। फिर क्या थि जो उसने ऐसा किया? पराई स्त्री का…
आज अगर कोई इंसान किसी स्त्री के साथ कुछ इसी तरह करेऔर अगर वो आपके परिवार की हो तो क्या आप उसे माफ कर देंगे व पूजा करें गे? फिर ये गलत चीजें क्यों? सिखाई जाती हैं?
(धर्म वही है जो सही है।
सही वही है जो उचित है।
उचित वही है जिससे आप व आपके के सम्मान पर आंच न आए व कार्य भी सुचारु रूप से हो।
इसलिए पहले हिंदू धर्म को स्वयं जाने, बहकावे में न आएं। व मजाक का पात्र न बनें।
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