इक छोटी कश्ती मेरे पास,
मैने बनवाई, नीली रंगवाई
और पानी में तैराई।
इक छोटा मेढक उसके पास,
उसने देखा,
उसको घूरा, और पानी में कूदा।
मेरी कश्ती डगमगाई,
टेढी हो गई
और पानी में डूब गयी।
ये मेरी ्मां ने सिखाई , जब हमारी भी नावें बरसात के पानी में चलतीं थीं और जन्माष्टमी पर जहाज।