आज हर इंसान दूसरे का सेवक ही तो है। बस पता नहीं चलता है कि वो क्या कर रहा है।
नेता का पी ए कौन?
इंसान ने तो भगवान को भी नहीं छोडा। सेवा करवाई। श्री राम औरश्री कृष्ण के गुरूऔं ने भी एक ओर उन्हें भगवान कहा दूसरी ओर स्वार्थ सिद्ध किया।
पढाने के बहाने, जंगल भेज अपनी कार्य(यज्ञ)) लिए यज्ञ करते रहे और असुर मरवाए।
जो इस संघर्ष में ससससफल रहा, उसे तारीफ के पुल बांध सेवक बना लिया।