आज हरकोई भेड़चाल करता है। धन गाड़ी बंगला सब चाहिए , पर कुटुम्ब तो नौकर का है, उनका कहां है। नौकर ही तो उनके वातानुकूलित घर व सुख का फायदा उठाते हैं वो कहां, न ही उनकेघर के सदस्य।
किटी उन महिलाओं व पुरूषों का व्यसन है जो एकदम पैसे वाले हो जाते हैं या हो जाना चाहते हैं। एक एक की 10-10किटी, हरेक 2,
5, 10या20000से शुरु। इसमें कम से कम 10 व अधिकतम 27.
ये एक व्यापारिक तरीका है। पर फिर घर व बच्चों को नौकर व आया के भरोसे छोडकर पूरा दिन तरह तरह की पोशाकें व मेकप पहनकर नमूने की तरह घूमना और हर काम के लिए नौकर। और बीबी भी कारचालक को लिए , ऐसे घूम ती हैँ जैसे वो उसका प-ति हो। कमाकमाकर बेचारा प-ति मरा जा रहा है। बच्चों को मां बाप, मां बाप ही नहीं लगते।वोतो आया को ही जानते हैं, ऐसै में अगर बच्चे बड़े होकर अपने मांबाप को वृद्धाश्रमों में भेज दें तो क्या आश्चर्य!
वौ भी ऐसे में बिगड जाते हैं। अगर कोई कुछ कहे तो उत्तर ये-
कि तुमने भी तो हमें ऐसे ही पाला था आया के पास।
मैंने तो कभी तुम्हे देखा ही नहीं जब मैं उठता हूं तुम जा चुकी होती हो, खाना सुबह नौकरानी बना जाती है। घर से तो अच्छा हॉस्टल है।हॉस्टल में ताजी खाना तो मिलता है।दोस्त तो हैं बात करने को, घर में तो कोई नहीं है।और तो और किटी मेम्बर कम न हो जाएं, अपनी पहचान व रिश्ते भी छुपाते हैं।