शिक्षा

2014तकभारत में शिक्षा का स्तर बहुत ही गिर गया था।पता नहीं क्या हो रहा था।आज जिससे भी पूछो, 12वीं पास, पर, पढ कोई नहीं पा रहा है।कोई भी विद्यालय नहीं गया।सब सरकारी निजी विद्यालयों मे पढ रहे हैं।
किसी की फीसभी कम नहीं है 1000/-(500+500)। रोज कक्षाएँ लगती हैं। ट्यूशन फीस व सादा हर तरह की फीस लगती है पर। पढाये कौन? पहले अध्यापक को तो पढना आए। पन्ने फाडकर, बांटकर, उत्तर पुस्तिका मे नकल करवाते हैं। ये पन्ने सहेजकर रखे जाते हैँ। सब पास। फिर यही क्रम। अध्यापक को 500/- पर लगाते हैं।
अब जाओ या न जाओ क्या फर्क। पास तो हो ही जाएंगै।
उसपर बिना पढे पास करने का नियम।
उस पर आरक्षण।
आज ये हाल है कि नौकरी नहीं है।
बस……. 

क्या आप मेरे विचारों से सहमत हैं? 

अगर हां तो शेयर अवश्य करैं। 

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