कुछ लोग इतना लड़ाकू होते हैं कि संवाद हीनता सम्बन्धों में पसर जाती है।
जब मन हुआ बहू को गाली दी,पिटवाया, घर में महाभारत मचाना झगड़ा मचाना व
बाहरबोलना कि वो
पैसे वाले हैं।
चाहे वो परले दर्जे के आवारा और ऐय्याश हों।
नौकरानी को बीबी की तरह रखा हो,व बीबी को मार के भगा दिया हो।
या पुलिस ने आवारा लडकों के साथ पकड़ा हो।
बीबी बोले तो गाली देना,
जॉब न करने देना,
अगर कोई लडकी लिफ्ट को
बोल दे ,
तो बस,
अपने को हीरो ही समझ लेना व लाइन मारना।
ये तो आजकल के उन पिताओं के विचार हैँ , जो भगवान् की दुआ से कुछ ऐसी नौकरी में हैं, जो बैंक, डॉ, प्रोफेसर, रेलवे आदि में हैं।
इनमे
कन्याओं की भरमार है।
वैसै भी रोज दूरदर्शन पर आता है,
जबवो ऐसा व्यवहार करें गे, तो संतानों पर भी वही असर पडेगा। वो शादी
नहीं करना चाहती है।
बूढ़ा तो 10/15में मर ही जाएगा,
फिर मजे करो।
आज की पीढी बूढ़े बुजुर्गों के
बहुत ज्यादा
कानून छांटने के कारण घर सै बाहर रहना
ज्यादा पसंद करती है।
जब ये अपनी क्लर्क व बॉस को सैट करने की ताक में रहते हैं तो बच्चों को भी यही आसान लगता है।
पहले मजेकरो घूमो,
कमाओ,
जब थक जाओ, बच्चों को यही सही लगता है।
एंटी रोमियो फंक्शन तो ऐसै स्थानों पर ही होना चाहिए।
ये ब्लॉग खंडहर व जीवित खंडहर मां बाप की ऊंची उडान व बहू बेटों से बिना बात के झगडा़ मचाने का नतीजा है। आज छोटा क्या, बडा क्या, हर शहर भोपाल, लखनऊ, ग्वालीयर, बम्बई, पुने, हैदराबाद, बद्दी, फरीदाबाद, नौयडा, गुड़गांव, झांसी इन जगहों में नामी कॉलॉनी में आर्कीटैक्ट, फुटकर भोजन वाले, शेयर बाजार, आदि के नाम पर लड्के लडकियों का समूह एक ही फ्लैट लेकर रहते हैं व कहते हैं कि हम तो
प ति पत्नी हैं।&यहाँ छापे जरूरी हैं। ये मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों का मटियामेट कर रहे हैं।
किसी बूढे को फांस लो।
- फिर आराम से खाओ।