सामग्री :-नीम की साफ व कोमलपत्तियों के छोटे- छोटे
झाड़।
सरसों का पीला कडुआ तेल व गैस भारी लोहे की कड़ाही।
करछुल।
प्रयोग,:-लोहे की कडाही को गैस पररख दें।
अभी गैस नहीं जलाएं।
पहले पतंजलि का सरसों का 1कि लो तेल कड़ाही में डाल दें।
फिर इसमे झाड़(बहुत सी पत्तीका गुच्छा ) एक एककर धीरे-धीरे डाल दें।
इन्हे अच्छे से डुबो दें।
जब ब डूब जाएं तो गैस जला दें व एकदम धीमी आंच कर दें।
इसे धीरे-धीरे पकने दें।
उबाल आने परथोडी देर के लिए बंद कर दें।
ठंडा होने पर फिर यही प्रक्रिया दोहराएं।
ये तभी करें जब आप वहाँ खडे हों। जबतक पत्ती काली न पड़ जाएं तबतक यही करना है।
बीच मे एक बार तेल ठंडाकर झाड़ को पलट दें।जिससे पत्ती अच्छे से अर्क छोड़ दे।
भरने के पहले तेल एकदम ठंडा होना चाहिए।
एक भगौने में ससारे झाड़ नइकालकर उल्टे खडे कर दें।सब बचा तेल नीचे आ जाएगा।
इसे लगाने से
मच्छर नहीं काटते हैं।
जुएं भी मर जाते हैं।
त्वचा के रोग भी दूर हो जाते हैं।
मुंह में लगाने से छाले भी दूर हो जाते हैं।
मुंहासे भी नहीं होते हैं।
फोडे फुंसी भी नहीँ होते हैं।
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