त्योहारों के शुरू होते हीजन मानस खुशी से भर उठता है।पकवानों की भीनी-भीनी खुश्बू से सारा वातावरण महक जाता है।सही अर्थ में जो अपने अपनों को इस दिन पास लाता है व सब मिलजुलकर
एक साथ ,
एक ही चूल्हे
पर पकवान बनाते हैं।
शायद आपने ध्यान दिया होगा, कि अधिकतर त्योहार
पूर्णिमा को होते हैं, जब
चांद पूरा सोने के थाल जैसा लगता है।ये शायद इसलिये भी है क्योंकि पहले राजा महाराजाओं के समय एक स्नान मे ही पूरा दिन पार हो जाता था व ताजगी कई दिनों तक। तो खास दिन भगवान् के नाम। इसी दिन भगवान् विष्णु ने हर कल्प के हर युग में अवतार लिया था।
और राक्षसों का संहार किया था।
तभी भारत में फसल भी पकती है।