विक्नरम संवत 2074, नव वर्ष की मंगल कामनाऐं(चैत्र की मां नव दुर्गा)

आज सुबह देवी दुर्गा,
जो अपने भक्तों का उद्धार करने के लिए
सदैव तत्पर हैं, अपने घर भक्तों के पास आती हैं।
मां अपने भक्तों पर कृपा करती हैं।
वो हमेशा पहाड़ में जंगल
में बहुत
ऊंचाई पर निवास करती हैं।
मां को ब्रह्मा,
विष्णु , महेश , तीनों की
शक्ति यों ने
मिलकर बनाया है।।
[राक्षस दुर्गम नै एक बार तप कर भगवान् से वरदान
मांगा कि मैं किसी के
हाथों से न मरूं,
पर (कन्या) कहना भूल गया।}
बस
अत्याचारों
की बाढ़ आ गयी,त्राहि-त्राहि मच गयी।
होना क्या था,
कैलाश पर्वत, जो इस समय चाइना में है, सब इंद्र के साथ दौड़ के वहाँ गये।जहां पशुपतिनाथ रहते हैं, वो गंगा जी का वेग सम्भालने में लगे थे, ने कहा,
वि ष्णु के पास जाओ।
विष्णु ने कहा,
ब्रह्मा जी के पास जाओ,
अब ब्रह्मा जी ने बताया

कि उसने ये वरदान मांगा था।
सभा हुई, सबसे बुद्धि मान
ि वष्णु ने कहा, वो कन्या तो कहना भूल ही गया।
अब ये तय हुआ कि गौरी,
लक्ष्मी
, सरस्वती,
तीनों ने मिलकर एक कन्या रूप लिया
व दुर्गा नाम रखा।
और अपनी समस्त ताकत दुर्गा को दे दी।

(जहां, स्वर्ग से सीधे गंगा जी
शिव की जटाओं में
उतरीं थीं, येकहकर कि मुझे सम्भालने के
लिऐ शंकर जी से प्रार्थना करो, मुझमें
बहुत वेग है,मुझे केवल भोलेनाथ ही सम्भाल सकते हैं।
उनसे कहो कि वो जटाओं को खोलकर बैठें,
मैं जटाओं में उतर
आऊंगी। )
इन जटाशंकर की पत्नी पार्वतीजी,
वरदान देने वाले ब्रह्मा जी की पत्नी सरस्वती जी,
जो विद्या देती हैं
व विष्णु की लक्ष्मी तीनों ने मिलकर
जब अवतार लिया तो दुर्गा जंगल में
घूमने निकल गयी।अब कन्या को अकेले पाकर वो
तो बदमाशी पर उतर आया और पकड़ ने को अपने अनुचरों को भेजा,
अति करने पर दुर्गा के हाथों मारा गया।

सार यह है कि 

अगर हम नववर्ष पर दुर्गा का आवाहन करते हैँ

 तो त्रिदेव का वरदहस्त अपनी पत्नी के साथ
हम पर, पूरे वर्ष रहता है।
जब हमारा
हर कार्य भी हिंदी कलैंडर से
होता है,
फिर इसे मानने में
हिचक कैसी?

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s