और मुझे इसमे खरा उतरना ही है।। यह पर्व धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है।
यह धर्म भगवान विष्णु के द्वारा भक्तों की रक्षा का प्रतीक है।
हिरण्यकश्यपु व होलिका बहुत ही क्रूर थे।
जनता व इनके बच्चे तक इनके अत्याचारों से त्रस्त थे।
होलिका ने भगवान को प्रसन्न कर अकेले अग्नि स्नान पर न जलने का वरदान था।
हिरण्यकश्यप अपने को भगवान कहता था व
न मानने वाले को मार देता था।
उसने अपने विष्णु भक्त पुत्र प्रहलाद को होलिका के साथ बांध दिया
व अकेले अग्नि स्नान का वरदान भूल गया।
बेटा नारायण को पुकारता रहा।नारायण उसका कवच बनकर उसकी आग से रक्षा करते रहे,
होलिका स्वाहा हो गयी।
वह क्रोध से पागल हो गया।
उसने प्रहलाद को एक खम्बे से बांध दिया और चिल्ला ने लगा, बुला ओ अपने विष्णु को।।
खम्भा एक जोर की गड़गड़ाहट के साथ फटा।
भगवान् का भक्त की रक्षा के लिये धमाकेदार
प्रवेश हुआ।
एक ऐसी आकृति प्रकट हुई जिसका सिर व नाखून शेर से थे व शरीर मानव का
, आवाज बड़ी भयंकर।
वह संध्या समय प्रकट हुआ था।हिरण्यकश्यप को प्राप्त वरदान के अनुसार,
वह समय न दिन था न रात।
न वो मानव था न जानवर।
उसने उसे उठाकर घर की देहरी पर अपनी जांघ पर रखा, वहाँ न जमीन थी न आकाश।
व अपने नाखून से उसका पेट चीरकर मार दिया ,
जो कोई यंत्र नहीं थे।
यह नर और सिंह का मिला जुला रुप था।
पुष्प वर्षा हुई।
यह त्योहार हमें यह भी
है कि में हमेशा अपने भक्तों का ही
भक्तों द्वारा पुकारना मेरे लिए एक परीक्षा है।
भगवान कहते हैं कि जिस तरह मैंने भ्क प्रहलाद की रक्षाकी मैं तुम्हारी भीकरूंगा।
भग वान हमेशा मेरा व मेरे बच्चों का कल्याण करें व रक्षा करें व
हमारे शत्रुओं का नाश करें।
आज होली है। इसी खुशी में आज रंग से खेलते हैं।
ये, आजभारतीय जनता पार्टी ने, भारत की जनता को, भारत के तिरंगे के नीचे कर, भारतीयों ने एकता की वो मिसाल कायम की है,जो एक बहुत बडा़ पर्व है।