हिंदी बोलने में क्यों शर्म आती है?
हिन्दू के हाथ ही हिंदी
अपमानित हुई जाती है।
अगर कुटुम्ब बड़ा है और बाहर जाकर बस गया है।
वहाँ की राज्य भाषा में रम गया है। आप बूढ़े हो जाऐंगे
अपने पोते परपोतै से मिलने नहीं जाऐंगे
या वो और उनके बच्चों को आप
नहीं बुलाऐंगे।
तो क्या वो उत्तर भारतीय दक्षिण भारतीय बंगाली या बिहारी कहलाऐंगे।
क्या आप अपने को भुलाने का दुख सह पाऐंगे।
नहीं……
इस दुश्मनी का पडोसी देश फायदा उठाऐंगे।
आपको सबको ये बताना होगा।
भारत को बचाने के लिए हिंदी
को अपनाना होगा।कौन अनपढ रखकर विभाजन कर रहा है जनता को बताना होगा।
अपने व अपने कुटुम्ब को अनुवाद समझाना होगा।अगर देश चाहिए तो हिंदी को अपनाना होगा।दक्षिण भारतीय राज्यों में उत्तर भारतीयों के प्रति फैल रही घृणा को मिटाना होगा।
हिंदी बोलने पर अपमानित करने वालों को दण्ड का प्रवधान बनवाना होगा।
आक्रामक स्थिति न आए,
कशमीरी पंडितों सा हश्र न हो पाए।
इससे पहले ही जनता को,
खासकर युवा पीढी को
जागना होगा।
हरबार बस जाकर हिंदी में ही बोलना होगा।
देखेंगे कि सबको हिंदी आती है
पर जानकर इंग्लिश में बोलता है।
न बोलने पर आक्रामक
हो जाता है
व मारपीट पर उतर अाता है।।
बस सबको यही बताना है।
ये हमारी राष्ट्र भाषा है।
इसका अपमान देश का अपमान है।
आपका अपमान है।
इस पर सजा का प्रावधान है।
सजा के नाम से अच्छे अच्छे हिन्दू हिन्दी बोलते हैं।
यह देश बहुत बड़ा है।
- आप हर कार्य क्या हिन्दी
कैलैंडर के अनुसार प्रारम्भ नहीं करते हैं?
कहीं आप फसल पकने पर, खेतों में जागरण व रखवाली के लिए, त्योहार मनाते हैं।
- िहन्दी माह के अनुसार ही
अपने व्यापार,पाठशाला, संस्थान व अपने कार्य प्रारम्भ करते हैं।
तो फिर बच्चों को हिन्दी
माह क्यों नहीं बताते हैं।
पूर्णिमा व हरभाग पर का मौसम अलग प्रभाव है,
और उसी के हिसाब से उस राज्य का नाम पडा है।
- आप अपने हिन्दी कैलैन्डर से ही त्योहार मनाते हैं।
ये कैलैंडर पूरे भारत
में चलता है।
क्या आपके घर के हर कमरे का तापमान अलग नहीं है।
पर क्या अगर आपका
घर बड़ा है व दूर दूसरे कमरे मैं रहता है तो क्या वह आपका नहीं है?
वो आपके बच्चे, क्या आपके नहीं हैं? अभी तो केवल भाषा पर विवाद है, कल
कश्मीरी पंडितों
जैसा हिन्दूओं
का हाल न हो,
इसलिये
संभल जाओ।
हिन्दी को अपनाओ।
आज देश के अन्य राज्यों में हिन्दी बोलने वाले को अपमानित किया जाता है।
आज नदी के पानी पर
भी लडाई हुई।
क्या नदी का वेग कभी रूकाहै।?
क्या देश से ज्यादा व्यापार
बडा है?
पंजाब-5आब(नदी)
राज स्थान(राजाओं का स्थान)
महाराष्ट्र(मराठा)
बंगाल(बेन बहन)
इसी तरह अन्य……
- क्या दक्षिण भारत के
कोटि लिंगम उत्तर भारत के
भोलेनाथ नहीं हैं?
क्या हमारे कृष्ण राजस्थान व केरल उडीसा के विष्णु व कृष्ण नहीं हैं?
क्या हमारे कृष्ण गुजरात के द्वारकाधीश नहीं हैं?
क्याहमारे विघ्नहर्ता गणपति महाराष्ट्र के राजा नहीं हैं?
क्या हमारी दुर्गा मां वैष्णोदेवी मां काली नहीं हैँ?
क्या वो बंगाल की काली व दुर्गा नहीं हैं?
क्या वो पंजाबी व सरदारों की मां नहीं हैं?
क्या दक्षिण भारत के
कार्तिकेय भोलेनाथ के बेटे नहीं हैं?
क्या पुष्कर के ब्रह्मा जी हमारे त्रिदेव नहीँ है?
क्या मेंहदी पुर बाला जी
या तिरूपति हमारे राम के भक्त हनुमान नहीँ हैं?
क्या विट्ठल हमारे कृष्ण नहीँ हैं?
क्या जैन के दिगंबर महादेव भोलेनाथ नहीं हैं?
क्या बुद्ध व नानक विष्णु अवतार नहीं हैं?
ये हमेशा एकदूसरे के संपर्क में रहते हैं।
फिर क्या बात है कि ये एक हैं, कैलैंडर एक है,
तो हमने ये विभाजन रेखा क्यों खींची?और किसने खींची?
क्या ये विभाजन रेखा नहीं मिटानी है?
ये सब अलग अलग युग में आऐ पर हैं तो एक ही, फिर हिन्दू में ये अलगाव क्यों?