बहुत ओले पड़े व जन सामान्य चायल हुआपर ये पक्षी सब चैन में हैँ।इंसान तो घरों में दुबके थे पर पशु व खग सब रातभर पेड़ों की 1-1इंच के पत्तों में ही व जानवर खुले में ही रहे।
यही तो शायद, धरती को मां कहने का कारण नहीं है?
बहुत ओले पड़े व जन सामान्य चायल हुआपर ये पक्षी सब चैन में हैँ।इंसान तो घरों में दुबके थे पर पशु व खग सब रातभर पेड़ों की 1-1इंच के पत्तों में ही व जानवर खुले में ही रहे।
यही तो शायद, धरती को मां कहने का कारण नहीं है?